विस्थापितों द्वारा कोल परिवहन वाहनों को रोकने पर आपा खो बेठे थानेदार, ग्रामीणों को समझाने की बजाय जमकर दी गालियां, वीडियो हो रहा वायरल
सिंगरौली। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के एक थानेदार का ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसे देखकर सिर शर्म से झुक जाएगा। इस वीडियो में थानेदार साहब विस्थापित ग्रामीणों को न्याय देने के बजाय उन पर बरस रहे हैं और एक महिला के सामने ग्रामीणों को गंदी-गंदी गालियां देते नजर आ रहे हैं। आम लोगों के साथ पुलिस की इस तरह के बर्ताव से कानून व्यवस्था को लेकर सरकार के दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं। दरअसल जिले लंघाडोल थाना क्षेत्र के डोंगरी गांव में गुरुवार दोपहर को एपीएमडीसी कंपनी के विस्थापित ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर कोल परिवहन वाहनों को रोक दिया था, जिसके बाद थाने के थानेदार सुरेंद्र यादव दल बल के साथ डोंगरी गांव में पहुंचे थे। ग्रामीणों को समझाने के बजाय खुद पुलिस ग्रामीणों से उलझती हुई नजर आ रही है। थानेदार इन लोगों से सीधे मुंह फरियाद यानी इनकी समस्या सुनने के बजाय गालियों से नवाज रहे हैं। उनकी गालियां ऐसी हैं जिन्हें न तो दोहराया जा सकता है और न ही इसे सुनाया जा सकता है। इसीलिए हमने वीडियो में गाली वाले हिस्से को म्यूट कर दिया है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि वहां पर मौजूद महिला के सामने किस तरह से भद्दी भाषा में गालियां दी रहें है। हद तो तब हो जाती है जब थानेदार के साथ ही एक पुलिसकर्मी भी भद्दी भाषा में गालियां देने लगता है। फिलहाल इस घटना को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और खाकी वर्दी पर सवाल खड़े हो गए है ।

विस्थापितों द्वारा कोल परिवहन वाहनों को रोकने पर आपा खो बेठे थानेदार, ग्रामीणों को समझाने की बजाय जमकर दी गालियां, वीडियो हो रहा वायरल
संवाददाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़
सिंगरौली। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के एक थानेदार का ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसे देखकर सिर शर्म से झुक जाएगा। इस वीडियो में थानेदार साहब विस्थापित ग्रामीणों को न्याय देने के बजाय उन पर बरस रहे हैं और एक महिला के सामने ग्रामीणों को गंदी-गंदी गालियां देते नजर आ रहे हैं।
आम लोगों के साथ पुलिस की इस तरह के बर्ताव से कानून व्यवस्था को लेकर सरकार के दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं। दरअसल जिले लंघाडोल थाना क्षेत्र के डोंगरी गांव में गुरुवार दोपहर को एपीएमडीसी कंपनी के विस्थापित ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर कोल परिवहन वाहनों को रोक दिया था, जिसके बाद थाने के थानेदार सुरेंद्र यादव दल बल के साथ डोंगरी गांव में पहुंचे थे। ग्रामीणों को समझाने के बजाय खुद पुलिस ग्रामीणों से उलझती हुई नजर आ रही है। थानेदार इन लोगों से सीधे मुंह फरियाद यानी इनकी समस्या सुनने के बजाय गालियों से नवाज रहे हैं। उनकी गालियां ऐसी हैं जिन्हें न तो दोहराया जा सकता है और न ही इसे सुनाया जा सकता है। इसीलिए हमने वीडियो में गाली वाले हिस्से को म्यूट कर दिया है।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि वहां पर मौजूद महिला के सामने किस तरह से भद्दी भाषा में गालियां दी रहें है। हद तो तब हो जाती है जब थानेदार के साथ ही एक पुलिसकर्मी भी भद्दी भाषा में गालियां देने लगता है। फिलहाल इस घटना को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और खाकी वर्दी पर सवाल खड़े हो गए है ।
वहीं अब पूरे मामले में एसडीओपी देवसर वीरेंद्र धुर्वे का बयान भी सामने आया है। धुर्वे ने कहा कि डोंगरी गांव में ग्रामीणों ने कई बार कोल वाहन को रोक कर विरोध प्रदर्शन कर रहें है। कई बार समझाया गया लेकिन ग्रामीण नहीं माने, गुरुवार दोपहर को भी ग्रामीणों ने कोल परिवहन कर रहे वाहन को रोक दिया था, पुलिस ने समझाया लेकिन ग्रामीण नहीं माने। जिसके बाद पुलिस को सख्ती से पेश आना पड़ा।
क्या है ग्रामीणों की मांग
एपीएमडीसी सुलयरी कोल ब्लॉक और विस्थापित ग्रामीणों के बीच 22 नवंबर 2022 को 11 सूत्रीय मांगों के संबंध में एक समझौते पर जिला प्रशासन, विस्थापित ग्रामीण, कंपनी प्रबंधन ने हस्ताक्षर किया था, समझौते के अनुसार 1 माह के अंदर उनकी जायद मांगों पर विचार करते हुए उसे पूरा करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन 8 माह का समय व्यतीत हो जाने के बाद भी ग्रामीणों की मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
जिसके बाद विस्थापित ग्रामीणों ने आंदोलन का रुख अपनाया, गुरुवार यानी 15 जून को विस्थापित ग्रामीण एकजुट होकर कंपनी के कोल परिवहन कर रहे वाहनों को रोक दिया। जिसके बाद पुलिस ग्रामीणों को समझाने के बजाय उनसे से ही उलझ गए और ग्रामीण महिला के सामने ही ग्रामीणों को थानेदार ने भद्दी-भद्दी गालियां दी।