अज्ञात की टक्कर से गंभीर रूप से घायल बेजुबान पशु जिसे नोच रहे थे कुत्ते, की रक्षा कर स्वतंत्र लेखक ओजस्वि ने अस्रुपूरित लिखे दो शब्द
देखते ही देखते हॅसा निकल गया काया से ओर फिर हम भी प्राण बचाने में रहे असफ़ल हम भीड की तरह इकट्टा होकर केवल उसे तडफते हूऐ देखते रहे ओर उसके प्राण निलक गये। प्राण बचाने के लिए हमने की सारी कोशिष नाकाम रही, हमारी आंखो के सामने , बेबस लाचार, किसी वाहन की टक्कर के बाद मुख्य सडक पर ही , कुत्ते काटते रहे, तडफ तडफ कर उसने जान दे दी।
अज्ञात की टक्कर से गंभीर रूप से घायल बेजुबान जानवर जिसमें नोच रहे थे कुत्ते, की रक्षा कर रहे स्वतंत्र लेखक ओजस्वी ने असरूपित दो शब्द लिखे
संवादाता मुकेश कुमार जोशी चित्तचौरगढ़
देखते ही देखते हॅसा निकल गया काया से
या फिर हम भी प्राण बचाने में असफ़ल हैं
हम भी की तरह एकट्टा केवल उसे तड़फते हूऐ देखते रहे ओर उसका प्राण निलक गया। प्राण बचाने के लिए हम सभी की पूरी कोशिश नाकाम हो रही है, हमारी आंखों के सामने बेबस लाचार, किसी वाहन की टक्कर के बाद मुख्य सड़क पर ही, कुत्ते फंस रहे हैं, तड़फ तड़फ कर रहे हैं जान दे दी।
इससे पहले जान बचाओ जान बचाओ की नजर से लगातार सुपर घायलों को हमने देखा है------
मगर हम भी कुछ ना कर सके, ओर हमारी आंखों के सामने प्राण निकल गए। हम किसी विशेष के निधन पर दाह संस्कार से लोटते जुमर रोड वाया साँवरिया जी हाईवे से चितोडगढ की तरह बढ़े ही थे कि बिजली विभाग के जी एस एस आफीस के दस आठ कुत्तों
किसी घायल जानवर को जगह से काटकर लाभ और जानवरों के तड़पते देख हम अपने वाहन से नीचे उतरे कर कुत्तो को उत्साहितना शुरू किया मगर कुते भग कर भी नहीं गए, थोड़ी दूरी पर जा कर बाठ गए।
जेसे उनके खाने का सामान रखा है----
इधर यह बुरी तरह से घायल नील घाय का बच्चा जिसका कि एक पेर टूट गया, जगह जगह से कुत्तो के काटने से तथा शरीर के पीछे के भाग से खून ही खून निकल चुका।
जबान बाहर आ गई, जबान ओर मुह के भीतर से खून बहते देखकर दिल कांप उठा---
हमने जिसको आवश्यक था फोन लगाकर पशु चिकित्सालय इस घायल को पहुंचाने ओर प्राण बच जाऐ इस विचार से काफी प्रयास कर लिए नतीजा ये रहा कि टीम जो घायल पशु को ले जाने वाली होती है कहीं गई है--- ऐसा बता दिया गया----
ओर फिर किसी के आने की उम्मीद नही है, यह खबर भी वहां खडे लोगों को हालात से वाकिफ करवाया ,ये सब कुछ बात उस अतिघायल छटपटाते पशु ने भी सुन लिया कि अब कोई कुछ नही होना है ,थोडी देर ओर तडफने के बाद हमारी आंखों के सामने उस घायल पशु ने दम तोड दिया ओर हम भी चाह कर भी प्राण नही बचा सके। भावना ओर प्रयास पुरा बचाने का ही रहा मगर---
यह सब कुछ देखकर में स्वम घालय हूं।जीव की यह क्या हालत हो जाती हे घडी पलक में---
इसलिए बेबस लाचार हो जाता है हे दृष्टि दृष्टि, कोई भी शक्ति काम नहीं आती है बचाने को---
वा रे जीवन----
इस घटना ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया, जीवन में चलते चलते ही हम किस तरह किस स्थिति में पहूचकर कर, क्या से क्या हो, क्या हो जाता है---ये दुखद घटना घटनाएं
17 जून 2023 को एक दिन के दो बजे के आसपास, का, बहुत ज्यादा संकेत से देखने के बाद ये जीवन क्या है------ बहुत कुछ समझ में आया---
बुल बुले से भी नाजूक हे ये जान हमारी। हमारा गुमान ओर अकड़ना सबका सब धरा रह जाता है।
हमारे सदेव अंदर सदभावना के सामान ही रहते हैं,या कुछ भी अंदर नहीं भरते हैं। कोई भी नहीं है जो आज तक मौत से बच पाया।
ना जाने किस समय ,किस घडी अपने प्राण इस जमी के अंदर खिसक जाऐ। भरोषा तो अगले पल का भी मत करना---
देखते देखते
हॅसा निकल गया काया से---
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मदन सालवी ओजस्वी
स्वतंत्र लेखक
चित्रचित्र राजस्थान
18-6-2023