मेवाड़ के दक्षिण तरफ शैलमाला के भीतर ईडर नाम का एक भीलों का राज्य है

मेवाड़ के दक्षिण तरफ शैलमाला के भीतर ईडर नाम का एक भीलों का राज्य है

मेवाड़ के दक्षिण तरफ शैलमाला के भीतर ईडर नाम का एक भीलों का राज्य है । 

मण्डलीक नामक एक भील उस समय वहाँ का राजा था। 

गोह उस राज्य के भीलों के साथ वहाँ के जङ्गलों में घूमा करता और वहाँ के जानवरों का पीछा किया करता । वहाँ के भील गोह का बहुत आदर करते श्रीर उसे बहुत सम्मान देते । 

अब्बुलफजल और भट्ट कवियों ने वहाँ के एक वर्णन को इस प्रकार लिखा है : एक दिन भीलों के लड़के गोह के साथ खेल रहे थे। 

सभी लड़कों ने मिलकर गोह को अपना राजा बनाया और एक भील बालक ने अपनी उँगली काटकर उसके खून से गोह के माथे पर राज तिलक किया। किस घटना का भविष्य में क्या परिणाम होता है, इसको पहले से कोई नहीं जानता । 

ईडर राज्य के माडलीक राजा ने यह घटना सुनी कि यहाँ के भील लड़कों ने गोह को अपना राजा बनाया है तो वह बहुत प्रसन्न हुआ और एक दिन उसने अपना राज्य गोह को सौप कर राज्य से छुट्टी ले ली। राजा माण्डलीक के पुत्र थे । 

परन्तु उसने अपना राज्य अपने पुत्रों को न दिया था और गोह को सौंप दिया था। 

परन्तु गोह ने इसके बदले में राजा माण्डलीक को एक दिन मार डाला । उसने ऐसा क्यों किया, इसके सम्बन्ध में कहीं पर कोई उल्लेख नहीं मिलता। 

आगे चलकर गोह का वंश उसी के नाम से चला और उसके वंशधर गोहिल अथवा गहलोत के नाम से प्रसिद्ध हुए।

स्त्रोत: पु. राजस्थान का इतिहास | लेखक : कालुराम शर्मा

बी. एम. दिवाकर 

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