*अपराधी इतने कि जेल ठसाठस जिला जेल में क्षमता 338 के मुकाबले 595 बंदी थे, बंदियों को अब दूसरे जिलों में भेजने की तैयारी।*

रिपोर्टर प्रकाश सोलंकी पीपलवास
चित्तौड़गढ़। में एनडीपीएस के मामले और इनके बरसों तक पेंडिंग रहने से जेल पहले से ओवरलोड थीं। हाल में पुलिस के ऑपरेशन शिकंजा में एक साथ 553 बंदी और आ गए। ऐसे में जेलें ठसाठस हो गई हैं। क्षमता से दुगुने तो कहीं इससे भी ज्यादा। जिला जेल से पहली बार एक साथ 100 बंदियों को दूसरे जिलों की जेलों में शिफ्ट करने की तैयारी हो रही है। जेल अधिकारी अपराधियों की कोर्ट से जल्द जमानत की आस में भी है। राज्य मुख्यालय के निर्देश पर रविवार को पुलिस ने जिले के सभी 28 थाना क्षेत्रों में आपरेशन शिकंजा अभियान चलाया। विभिन्न मामलों में फरार या स्थायी वारंटी आदि 553 अपराधियों को पकड़ लाई ये लगभग सभी अगले दिन न्यायिक हिरासत में भेज दिए गए। पुलिस का यह रिकार्ड जेल इंतजाम पर भारी पड़ गया। जिला जेल डेढ़ दो साल से ओवरलोड है। क्षमता 338 की है, लेकिन आमतौर पर 550 से ऊपर बंदी रहते हैं। वो भी तब जब न्यायिक अधिकारियों के निरीक्षण के बाद कुछ बंदी अन्य जेलों में शिफ्ट किए जाते हैं। में 40 की जगह 75 बंदी, कुछ जमानत के बाद भी बाहर नहीं हुए, एक बैरक जीर्णशीर्ण
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व डीजे ओमी पुरोहित के निर्देशानुसार सचिव व एडीजे भानु कुमार बेगूं सब जेल का निरीक्षण करने पहुंचे। जहां क्षमता 40 की जगह 75 बंदी मिले। बैरक, रसोईघर, लाइट, पंखें सहित सुविधाओं का जायजा लिया। कुछ ऐसे बंदी भी मिले, जिनकी कोर्ट से मत होने के बाद भी अन्य कारणों से नहीं छूटे हैं। उनके लिए रिव्यू लगाने के निर्देश दिए। बैरक नंबर 2 जीर्णशीर्ण हालत में होने से ठीक करवाने और क्षमता से अधिक बंदियों को अन्य जेल में भेजने के निर्देश भी दिए।महीने ही 250 बंदी दूसरे जिलों में भेजे, फिर भी स्थिति जस की तस ...
जिला जेल प्रशासन ने 100 बंदियों को अन्य जिलों की जेल में शिफ्ट करने का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा । इन दिनों एनडीपीएस सहित अन्य अभियानों से ऐसे बंदी बढ़ रहे हैं। जिनकी जल्द जमानत के चांस नहीं होते गत माह ही यहां से 250 बंदी टोंक, अजमेर व दौसा की बलियावास जेल में शिफ्ट किए थे। इसके बाद भी स्थिति यह है।
कपासन: 30 के मुकाबले 45 थे, अब 80 हुए,सब जेल में क्षमता 30 के मुकाबले 45 बंदी रहते हैं। हाल में विशेष अभियान में 19 बंदियों के आने से संख्या 80 हो गई। हालांकि जेल प्रशासन को जल्द जमानत होने की संभावना से राहत महसूस जेल प्रबंधन ने किया।
निम्बाहेड़ा: 50 के मुकाबले 129
सब जेल में रविवार सुबह तक 99 बंदी थे। इस दिन पुलिस अभियान के बाद 132 हो गए। जबकि क्षमता 50 की ही है। सब जेल अक्सर ओवरलोड रहता है।सोने से लेकर सुबह की दिनचर्या तक बारी का इंतजार, सुरक्षा भी बढ़ानी पड़ी..जिला जेल में पुरुष बंदियों के 10 बैरक हैं। जिनमें क्षमता 40-50 की जगह 60 से 70 तक को ठूंसा । एनडीपीएस, अर्म्स एक्ट, हार्डकोर और जघन्य मामलों के कई आरोपी होने से सुरक्षा व्यवस्था भी और बढ़ानी पड़ी। ज्यादा बंदी हो से बाहर मुलाकात परिजनों की भीड़ भी बढ़ी है। भोजन, बिस्तर जैसे इंतजाम तो कर लिए। ज्यादा परेशानी बंदियों को रात में सोने और सुबह की दैनिक चर्या को लेकर आ रही कुल 42 टायलेट होने से सुबह बाहर लाइन लगती है। कई बंदियों ने तो इस कारण अल सुबह उठना शुरू कर दिया रविवार शाम रिकार्ड करीब 100 नए बंदियों के आने से आंकडा 695 पहुंच गया। हालांकि नए बंदियों में कई स्थायी वारंटी या साधारण अपराध में होने से जल्द जमानत मिलने की आस है। सोमवार को महावीर जयंती का अवकाश होने से
ये प्रोसेस नहीं हो पाया। मंगलवार को जमानतें होने पर कुछ राहत मिली।