*सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश सोलंकी पीपलवास ने महान विचारक, लेखक, महिला एवं बहुजन उत्थान के लिए आजीवन संघर्षरत सत्यशोधक समाज के संस्थापक, क्रांतिसूर्य ज्योतिबा फुले जी की जयन्ती के अवसर पर उनको सादर नमन किया है।*

रिपोर्टर प्रकाश सोलंकी पीपलवास
चित्तौड़गढ़। जन्मदिन दिन (11 अप्रैल) पर विषेश... प्रकाश सोलंकी ने बताया की अस्पृश्यता निवारण, महिला सशक्तीकरण और निर्बल एवं वंचित वर्ग के उत्थान के लिए महात्मा फुले के महती योगदान को याद करते हुए सभी से उनकी दिखाई राह पर चलने का आह्वान किया है। एवं महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती के मौके पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। कहा कि महात्मा फुले ने गरीब, पिछड़ों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए अपना जीवनu समर्पित कर दिया। वे मानते थे कि शिक्षा समाज को आगे बढ़ाने का मूल मंत्र है। *जन्म दिन (11 अप्रेल) पर विशेष....
*प्रेरक ज्योतिराव फुले महिला शिक्षा के प्रेरक!*
19 वीं शताब्दी में, अंग्रेजी शासनकाल में, जब संपूर्ण देश में जाति व्यवस्था, अस्पृश्यता, संकीर्णता, रूढ़ीवादिता, अशिक्षा, किसानों पर जमीदारों के अत्याचार, सामाजिक व आर्थिक असमानता व्याप्त थी। अत्याचारों, निषेधों व निर्योग्यताओं तथा विषमताओं को दूर करने का किसी में हौसला नहीं था। विरोध में खड़े होने को कोई तैयार नहीं था उस समय में महात्मा ज्योतिराव फुले ने समग्र क्रांति का शंख फूंका। महात्मा फुले ने कहा था "मनुष्य जाति से नहीं, कर्म से श्रेष्ठ बनता है।" उन्होंने कई अहम् प्रश्न उठाये थे। "महिला बच्चा पैदा कर सकती है, उसे दूध पिलाकर बड़ा कर सकती है परन्तु अपवित्र है, पढ़ नहीं सकती, उसे जबरन चिता में धकेल दिया जाता है। शूद्र कहलाने वाला मजदूर मंदिर बना सकता है परन्तु उसमें बैठे भगवान के दर्शन नहीं कर सकता।" उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया, न ही उसकी वकालात की। उन्होंने लोगों से प्रश्न किया था कि जाति प्रथा को कैसे समाप्त किया जाय ? उपजातियों को कैसे समाप्त किया जाय? कैसे जीवन के ऐसे नियमों को समाप्त कर दिया जाये जो भेदभाव पैदा करते है। महात्मा फुले जाति, धर्म संप्रदाय के नाम पर होने वाले भेदभाव के प्रबल विरोधी थे। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा पुरूष एवं नारी दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है। धर्म का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है। उन्होंने बालिका विद्यालय की स्थापना की, अपनी धर्मपत्नी को पहली अध्यापिका बनाया। उन्होंने गरीब, मजदूर, पिछड़े लोगों को संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।