*मोमबती और टॉर्च की रोशनी में हॉस्पिटल में किया काम: पांच घंटे तक बिजली गुल, मरीज और उनके परिजन रहे परेशान।*

रिपोर्टर प्रकाश सोलंकी पीपलवास
*मोमबत्ती और मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में काम करते नर्सिंग स्टाफ।*
चित्तौड़गढ़ । हॉस्पिटल में बिजली गुल होने से मरीज और उनके परिजन परेशान रहे। शॉर्ट सर्किट के कारण मेन पावर और बॉक्स में लगी मुख्य तार जल गई। नर्सिंग स्टाफ भी मोबाइल टॉर्च और मोमबत्ती की रोशनी में काम करते देखा गया।आईसीयू और सर्जिकल वार्ड में मरीज और उनके परिजन परेशान हो गए। इसके अलावा ट्रोमा वार्ड और अन्य वार्डों के मरीज गर्मी से परेशान होकर बाहर घूमते हुए नजर आए। हॉस्पिटल प्रशासन के पास बैक अप प्लान भी नहीं था ।
मरीजों को हाथ पंखा करते हुए परिजन । आईसीयू और सर्जिकल वार्ड के मरीजों का हाल बुरा जिला हॉस्पिटल में पांच घंटे तक लाइट बंद रही। इमरजेंसी के लिए हॉस्पिटल प्रशासन के पास कोई उपाय भी नहीं था। रविवार देर शाम अचानक शॉर्ट सर्किट के कारण मेन पावर और डीपी बॉक्स में लगी मुख्य सात तार जल गई। इसके कारण हॉस्पिटल की बिजली गुल हो गई। सबसे ज्यादा परेशानी आईसीयू और सर्जिकल वार्ड के मरीजों को हुई। नॉर्मल वार्ड के मरीज तो अपने परिजनों के साथ बाहर जाकर बैठ गए। लेकिन आईसीयू और सर्जिकल वार्ड के मरीजों को वहीं रहकर लाइट का इंतजार करना पड़ा। उनके मरीजों को वहीं रहकर लाइट का इंतजार करना पड़ा। उनके परिजन हाथ पंखा कर मरीजों को राहत देने की कोशिश करते थे।
पांच घंटे मोमबत्तियों के भरोसे रहा हॉस्पिटल |
मोमबत्ती और मोबाइल की रोशनी में किया काम वार्ड के बाहर और अंदर एक-एक मोमबत्ती लगाई गई। नर्सिंग स्टाफ को भी मोबाइल की रोशनी में काम करने में मजबूर होना पड़ा। मरीजों का भी इस दौरान गुस्सा फूट पड़ा। उनका कहना था कि भरोसे से हम जिला हॉस्पिटल आते है लेकिन यहां सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है इमरजेंसी लाइट की भी तार जल गई लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन के पास किसी तरह का बैक अप प्लान नहीं है।लाइट जाने के बाद प्रभारी कमलेश मेहर अपने स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे और कड़ी मशक्कत के बाद रात को लाइट आई। जिसके बाद सभी ने राहत की सांस ली।