भाव की सघनता और आस्था की दृढ़ता चमत्कारी प्रभाव दिखाती है। उत्तराखंड में यह दिखाई भी दिया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी घोषणा कर दी है कि टनल के पास स्थानीय देवता #बाबा_बौखनाग जी का मंदिर बनवाया जायेगा।

भाव की सघनता और आस्था की दृढ़ता चमत्कारी प्रभाव दिखाती है। उत्तराखंड में यह दिखाई भी दिया।

संवाददाता पंडित मुकेश कुमार

#विदेशी_टनल_एक्सपर्ट_अर्नोल्ड_डिक्स ने लिंक्डइन के अपने पेज पर निजी अनुभव लिखें हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी घोषणा कर दी है कि टनल के पास स्थानीय देवता #बाबा_बौखनाग जी का मंदिर बनवाया जायेगा। इसमें अचरच की बात यह है कि देव पूजा की तरफ भी भारतीयों का ध्यान एक विदेशी ने खींचा। भारतीय ठेकेदार और इंजीनियर तो स्थानीय लोगों की बात को महत्व दे ही नहीं रहे थे। जबकि सुरंग के कार्य प्रारंभ होने से पहले देवता की पूजा प्रतिष्ठा आवश्यक थी। 

इससे वर्षों पहले अंग्रेजों के समय भी हिमाचल में रेल के लिए सुरंग बनाने में बहुत अड़चनें आ रही थीं। अंततः स्थानीय नागरिकों की सलाह पर देवता की पूजा करी गई थी।

 भारत का नवबौद्धिक वर्ग किसी बात को सहजता से तभी स्वीकार करता है जब कोई विदेशी विशेषकर पश्चिमी विद्वान विशेषज्ञ उसे प्रमाणित करे, स्वीकार करे।

हर हर महादेव 

विदेशी टनल एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स जितने बार भी टनल के अंदर गए और बाहर निकले, उतनी बार पास वापस स्थापित पूजा स्थल के आगे घुटनों पर बैठकर हाथ जोड़े और आंख बंद करके अरदास किया।

इन्हीं अमेरिकी एक्सपर्ट ने आते ही टनल के मुहाने से हटाए गए पूजा स्थल को वापस रखवाया था। कहा था कि हिमालय ने गुस्सा दिखाया है। उन्होंने मजदूरों को बंधक बनाया है। अब हिमालय ही जब चाहेगा, तब उनको छोड़ेगा।

 

 हुआ भी ऐसा ही। अमेरिकी मशीन आगर भी पहली बार किसी मिशन पर टूट गया और दरवाजे तक पहुंचकर भी सारे एक्सपर्ट लाचार हो गए थे।

 अमेरिकी टनल विशेषज्ञ ने कहा था कि उन्होंने मां काली से एक डील की है। शायद अब वे उस आध्यात्म अनुभव को साझा करेंगे।

आज भी अर्नाल्ड उस छोटे से चबूतरे वाले मंदिर के में देवी, भोलेनाथ और बाबा बौखनाथ की पूजा की और बहुत देर तक वहीं बैठे रहे।

 सबसे अजूबा तब हुआ, जब इसी पूजा स्थल के पीछे चट्टान पर पानी की धारा निकल गई। और उससे बाबा भोलेनाथ की आकृति सी बन गई। मौसम अचानक साफ हो गया। जबकि बारिश का अनुमान मौसम विभाग ने बता रखा था। उसे देखकर अर्नाल्ड ने कहा कि आज हिमालय और यहां के बाबा भोलेनाथ खुशखबरी देने वाले हैं। 

 एक दूसरे धर्म के प्रख्यात इंजीनियर द्वारा हिंदू धर्म की मान्यताओं को इस स्तर तक समझना और इज्जत देना काफी कुछ कह जाता है।

 जहाँ विज्ञान डगमगाता है। वहीं से आस्था की शुरूआत होती है। विज्ञान और धर्म विपरीत नहीं बल्कि पूरक है।

 ये बात बड़े बड़े वैज्ञानिक ओर अर्नाल्ड डिक्स जैसे लोग तो समझते है लेकिन भारत मे ही कुछ अधकचरे वामी नही समझते।