आज कुछ अच्छा पढ़ा? मौजों के हम हैं साहिल,,  खुशियों के आनंद हैं हम ।।  आक्रोश में हैं शेखर..  ज्ञान विवेकानंद हैं हम  दयानंद के चार वेद हैं.. 

पतिव्रता नारी सावित्री,,  और यहाँ की सीता है ।।  अश्व पकड़ कर श्री राम का,,  लव कुश भी तन जाते हैं।।  5 साल के बच्चे,,  ज्ञान ध्रुव यहाँ बन जाते हैं।।  और सवा अरब है आबादी,,  उस देश महान तुम युवा हो ।।  अरे आँख मिलाओ दुनिया से,,  तुम हिंदुस्तान के युवा हो ।। दिल पर मत लेना बातों को..  कितने भी इल्ज़ाम लगे ।।  प्रश्न चिन्ह लगे कोई,,  या फिर पूर्ण विराम लगे ।।  चाहें खून से सिचना हो,,  सारा परिवेश बचा लेंगे ।।  अरे भगत सिंह के वंशज हैं,,  हम बिकता देश बचा लेंगे।। क्या क्या होता भारत में,,  क्या सब कुछ हम ही करते हैं ।।  घोटालों की लम्बी लिस्टें,,  क्या ये भी हम ही करते हैं ।।  सबसे ज्यादा दुनिया में,,  भारत के युवा चेहरे हैं ।।  इल्ज़ाम हम ही पर लगा हमेशा,,  दाग बड़े ही गहरे हैं।।  देश प्रेम की भावना आज,,  हर युवा के अन्दर है।।  भारत की मिट्टी पावन है,,  झुकते यहाँ सिकन्दर हैं।।  असमाजिक तत्वों से,,  भारत माँ नाम नहीं खोती ।।  और कुछ फल के सड़ जाने से,,  मण्डी बदनाम नहीं होती ।। और आजादी की दुल्हन ये,, ऐसे ही नहीं बिहायी है ।। खूनी नदी बहाई हमने,, गर्दन तक कटवाई है || गोरों के शासन में देखो,, कितने अत्याचार हुए I।  आम आदमी खास आदमी,,  जो भी थे लाचार हुए।।  फांसी के तख्ते पर था,,  अस्फाक खुशी में झूमा था ।।  विर भगत ने फाँसी के फंदे को,, हँस कर चूमा था।।  राजगुरु राजेन्द्र लाहाड़ी..  शेखर की अजब कहानी थी।।  जान लुटादी मातृभूमि पर,,  कितनी गजब जवानी थी ।  भारत माँ पर कोई दरिंदा,,  जब जब जुर्म ढाएगा।।  लाज बचाने देश का युवा,,  तब तब आगे आएगा ।। हाँ मैं इनकार नहीं करती कि,,  युवा धूम मचाते हैं।।  मॉल डिस्को और क्लब के आगे,,  सारे नाचते गाते हैं ।।  ये भी सच है कुछ लोगों पर,,  फैशन तुमको खूब मिले।।  हाथ मार कर ये होगा कि,,  संग अपने महबूब मिले।।  मैक डी और के एफ सी का,,  बर्गर हमको भाता है।।  डोमिनोज़ का पिज्जा भी,,  शायद खूब सुहाता है।।  लेकिन बात जब वतन की हो,,   तब दिल से हुँकार निकलती है ।।  कदम मिला कर लड़कों से,,  लड़की भी बाहर निकलती है।।  देश की ख़ातिर देश की नारी,,  भी आँधी बन जाती है ।।  झाँसी की रानी तो कभी,,  इन्दिरा गाँधी बन जाती है ।। कि भारत भूल जाए कर कर,,  वो पाप नहीं कर बैठेंगे हम ||  देश हुआ संकट में तो,,  चुपचाप नहीं बैठेंगे हम।।  बिगुल बजा कर जाएंगे हम,,

आज कुछ अच्छा पढ़ा?     मौजों के हम हैं साहिल,,   खुशियों के आनंद हैं हम ।।   आक्रोश में हैं शेखर..   ज्ञान विवेकानंद हैं हम  दयानंद के चार वेद हैं.. 

आज कुछ अच्छा पढ़ा?

मौजों के हम हैं साहिल,, 

खुशियों के आनंद हैं हम ।। 

आक्रोश में हैं शेखर.. 

ज्ञान विवेकानंद हैं हम ||

 दयानंद के चार वेद हैं.. 

संवाददाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़ 

और कृष्ण की गीता है।। 

पतिव्रता नारी सावित्री,, 

और यहाँ की सीता है ।। 

अश्व पकड़ कर श्री राम का,,

 लव कुश भी तन जाते हैं।। 

5 साल के बच्चे,,

 ज्ञान ध्रुव यहाँ बन जाते हैं।।

 और सवा अरब है आबादी,, 

उस देश महान तुम युवा हो ।। 

अरे आँख मिलाओ दुनिया से,,

 तुम हिंदुस्तान के युवा हो ।।

दिल पर मत लेना बातों को.. 

कितने भी इल्ज़ाम लगे ।। 

प्रश्न चिन्ह लगे कोई,,

 या फिर पूर्ण विराम लगे ।।

 चाहें खून से सिचना हो,, 

सारा परिवेश बचा लेंगे ।। 

अरे भगत सिंह के वंशज हैं,,

 हम बिकता देश बचा लेंगे।।

क्या क्या होता भारत में,, 

क्या सब कुछ हम ही करते हैं ।। 

घोटालों की लम्बी लिस्टें,, 

क्या ये भी हम ही करते हैं ।। 

सबसे ज्यादा दुनिया में,, 

भारत के युवा चेहरे हैं ।। 

इल्ज़ाम हम ही पर लगा हमेशा,, 

दाग बड़े ही गहरे हैं।। 

देश प्रेम की भावना आज,, 

हर युवा के अन्दर है।। 

भारत की मिट्टी पावन है,, 

झुकते यहाँ सिकन्दर हैं।। 

असमाजिक तत्वों से,, 

भारत माँ नाम नहीं खोती ।। 

और कुछ फल के सड़ जाने से,,

 मण्डी बदनाम नहीं होती ।।

और आजादी की दुल्हन ये,,

ऐसे ही नहीं बिहायी है ।।

खूनी नदी बहाई हमने,,

गर्दन तक कटवाई है ||

गोरों के शासन में देखो,,

कितने अत्याचार हुए I। 

आम आदमी खास आदमी,,

 जो भी थे लाचार हुए।। 

फांसी के तख्ते पर था,, 

अस्फाक खुशी में झूमा था ।। 

विर भगत ने फाँसी के फंदे को,,

हँस कर चूमा था।।

 राजगुरु राजेन्द्र लाहाड़ी..

 शेखर की अजब कहानी थी।। 

जान लुटादी मातृभूमि पर,,

 कितनी गजब जवानी थी ।

 भारत माँ पर कोई दरिंदा,, 

जब जब जुर्म ढाएगा।। 

लाज बचाने देश का युवा,, 

तब तब आगे आएगा ।।

हाँ मैं इनकार नहीं करती कि,, 

युवा धूम मचाते हैं।। 

मॉल डिस्को और क्लब के आगे,, 

सारे नाचते गाते हैं ।।

 ये भी सच है कुछ लोगों पर,, 

फैशन तुमको खूब मिले।। 

हाथ मार कर ये होगा कि,, 

संग अपने महबूब मिले।। 

मैक डी और के एफ सी का,, 

बर्गर हमको भाता है।। 

डोमिनोज़ का पिज्जा भी,, 

शायद खूब सुहाता है।। 

लेकिन बात जब वतन की हो,, 

 तब दिल से हुँकार निकलती है ।। 

कदम मिला कर लड़कों से,, 

लड़की भी बाहर निकलती है।। 

देश की ख़ातिर देश की नारी,, 

भी आँधी बन जाती है ।। 

झाँसी की रानी तो कभी,, 

इन्दिरा गाँधी बन जाती है ।।

कि भारत भूल जाए कर कर,,

 वो पाप नहीं कर बैठेंगे हम || 

देश हुआ संकट में तो,, 

चुपचाप नहीं बैठेंगे हम।। 

बिगुल बजा कर जाएंगे हम,,

 सत्ता के गलिहारों से ।। 

सारा अंबर गूँज उठेगा,, 

इन्कलाब के नारों से ।। 

और गुनाह शासन के जिस दिन,, 

हद से आगे बढ़ जाएंगे।। 

देश के युवा उस दिन बढ़कर आगे,,

 संसद पर आ जाएंगे।I 

कि गद्दारों की राहों में,, 

हम पर्वत से अड़ जाएंगे ।। 

भारत माँ की खातिर युवा,, 

यम से भी भीड़ जाएंगे।। 

हम उनके वंशज हैं जो,, 

पौधों से दवा बनाते थे ।। 

हम गुरु गोविन्द सिंह के शाहबजादे,, 

जो अपना शीश कटाते थे ।। 

विज्ञान गणित और योगा का,, 

ये झण्डा दिया हम ही ने है ।। 

हम विश्व में शिक्षा की अलख जाएंगे,,

 फिर से बहार आ जाएगी ।।

 भारत से वीजा लेने को,,

 दुनिया लाईन लगाएगी ।।

विश्वविद्यालय तक्षशिला नालंदा,, दिया हम ही ने है ।।