किस्से #राजनीति #के #विनती है पूरी बात पढ़ियेगा अंत #तक 

हम भारत के लोग कमाल के हैं  पहले तो हम अपने पसंदीदा आदमी को  इस देश की प्रधानता सौंपते हैं  वो भी उसके वादो व इरादों की भट्टी में तपकर  और फ़िर उसी का विरोध करते फिरते हैं  पांच दस साल तक.. लेकिन भोली जनता को कहां मालूम  कि पंछी अगर उड़ना सीख जाएं तो  वो जमीं पर बहुत कम आता है  आता है तो दाना पानी के लिए केवल.. उसी तरह इस देश का पंछी भी ऊंचाई पर है  लेकिन जब जमीं पर आने की बारी आती है तो वो  सिर्फ़ जनता के सिर में वादों की चोंच मारकर चला जाता है और तो और वो चोंच लगने के बाद जनता को सुकून मिलता है लेकिन पीड़ा बाद में होती है इसकी.. देश की प्रधानता ये भूल गई है  कि जिस बेटी बचाओ के नारे को  इतना बुलंद किया गया वो सिर्फ़ एक दिखावा था,  दिखावा है और दिखावा ही रहेगा।  आज सड़कों पर स्त्रियों की इज्ज़त नग्नता से तरबतर है।  मेरा सवाल है कि बड़े बड़े मंचो पर  चहकने वाला पंछी ख़ामोश क्यू है

किस्से #राजनीति #के     #विनती है पूरी बात पढ़ियेगा अंत #तक 

#किस्से #राजनीति #के

#विनती है पूरी बात पढ़ियेगा अंत #तक 

संवादाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़

हम भारत के लोग कमाल के हैं

 पहले तो हम अपने पसंदीदा आदमी को

 इस देश की प्रधानता सौंपते हैं 

वो भी उसके वादो व इरादों की भट्टी में तपकर 

और फ़िर उसी का विरोध करते फिरते हैं 

पांच दस साल तक..

लेकिन भोली जनता को कहां मालूम 

कि पंछी अगर उड़ना सीख जाएं तो

 वो जमीं पर बहुत कम आता है 

आता है तो दाना पानी के लिए केवल..

उसी तरह इस देश का पंछी भी ऊंचाई पर है 

लेकिन जब जमीं पर आने की बारी आती है तो वो 

सिर्फ़ जनता के सिर में वादों की चोंच मारकर चला जाता है और तो और वो चोंच लगने के बाद जनता को सुकून मिलता है लेकिन पीड़ा बाद में होती है इसकी..

देश की प्रधानता ये भूल गई है

 कि जिस बेटी बचाओ के नारे को

 इतना बुलंद किया गया वो सिर्फ़ एक दिखावा था, 

दिखावा है और दिखावा ही रहेगा। 

आज सड़कों पर स्त्रियों की इज्ज़त नग्नता से तरबतर है। 

मेरा सवाल है कि बड़े बड़े मंचो पर 

चहकने वाला पंछी ख़ामोश क्यू है

 क्यू उसकी आवाज़ देश को सुनाई नही दे रही।

एक जरूरी सवाल का पत्थर 

मैं इस देश की प्रधानता की तरफ़ उछाल रही हूं

 कि अगर थाली बजाकर कोरोना भगाया जा सकता है 

तो देश से दरिदे को भगाने की व्यवस्था क्यू नहीं करती

सरकार ? 

और अगर भगा नहीं सकते तो

 मार दिया जाए बुरे तरीके से ऐसे लोगों को

 लेखिका :- रिशिका मीणा कोटा