शांति की चाहत में जुटाई सुविधाएं अशांति का कारण आचार्य राम मुनि
बड़ीसादड़ी शांति और आराम के लिए जुताई गई भौतिक सुविधाएं अशांति का कारण है ।वास्तविक शांति तो सीमित व उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग उचित उपयोग व मन को आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होने पर मिलेगी।यह विचार अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के आचार्य राम मुनि ने शहर के नगरपालिका परिसर में आयोजित धर्म सभा मे बुधवार को व्यक्त किये
शांति की चाहत में जुटाई सुविधाएं अशांति का कारण
आचार्य राम मुनि
राम सिंह मीणा रघुनाथपुरा
31मई
बड़ीसादड़ी शांति और आराम के लिए जुताई गई भौतिक सुविधाएं अशांति का कारण है ।वास्तविक शांति तो सीमित व उपलब्ध संसाधनों का सदुपयोग उचित उपयोग व मन को आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होने पर मिलेगी।यह विचार अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के आचार्य राम मुनि ने शहर के नगरपालिका परिसर में आयोजित धर्म सभा मे बुधवार को व्यक्त किये
।व्यक्ति की रुचि व मानसिकता को पढ़कर वैज्ञानिकों व कम्पनियों ने सुख के नाम पर आरामदायक जीवन बिताने के लिये ऐसी ऐसी चीजों का अविष्कार कर दिया जिससे व्यक्ति को कुछ नही करना पड़े सब कुछ स्वतः हो जाए इस चक्कर मे व्यक्ति आलसी बन गया है।यही उपभोक्ता वादी संस्कृति है जो एक दिन समाज व देश कक गर्त में लेजायेगी।इसी कारण तनिक व क्षणिक शान्ति की चाहत में मनुष्य अपनी वास्तविक शांति को खो रहा है।क्योंकि शांति के नाम पर आराम की ओर अग्रसर हो रहा है।व्यक्ति की अतिरिक्त आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए पैसा कमाने के चक्कर मे इन्होंने आदमी के दिमाग को बन्द सा कर दिया है।इससे संसाधन तो बढ़ गए पर वास्तविक शांति व सुकून नही मिला।सास्त्र कहते है कि आराम हराम है और क्षणिक शांति की चाहत में स्थाई शांति को मत छोड़ो।इन सुख सुविधाओं और अत्याधुनिक सुविधाओं व कम्प्यूटर लेप टॉप व मोबाईल कैलकुलेटर के उपयोग से बच्चे व युवा पीढ़ी का दिमाग कमजोर हो गया है वह हर चीज को मशीन पर डालकर देखता है और उसी के बताए परिणाम को वास्तविक परिणाम मानने लगा है जबकि यह संसाधन नही थे तब प्रारंभिक शिक्षा के बच्चे 40 तक पहाड़े याद रखता था और ओर पहाड़े के नाम पर अंग्रेजी शिक्षा में टेबल बोलते है और वह भी कैलकुलेटर पर देखकर ।जब बुनियादी शिक्षा दी जाती थी लोग आत्महत्या नही करते थे और अब मशीनरी युग मे जरा भी धैर्य नही रख सकता है और वह आत्महत्या कर लेता है पिछले एक दशक में देश मे आत्महत्या के आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से बढ़े है जो समाज व राष्ट्र के लिए खतरनाक है।पहले सतयुग त्रेता युग थे और कलियुग में संस्कृति व सभ्यता पर संक्रमण का युग शुरू होगया है।उन्होंने कहा कि भगवान महावीर सहित सभी तीर्थंकरों ने शांति की चाह में आध्यात्म का मार्ग अपनाया और चक्रवर्ती राजा होते हुए भी महलों का सुख पल भर में त्याग दिया और वे महान बने जिन्हें हजारों वर्षों बाद भी श्रद्धा से याद किया जाता है।हमारे आचार्यो व सन्तो के सन्देश स्थाई रूप से शान्ति दिलाने वाले है ।जैनाचार्य ने आग्रह किया कि महापुरुषों के विचारों व उनके द्वारा स्थापित आदर्शो को जीवन मे उतारें आध्यात्म कीओर बढ़े ।सभा मे उपाध्याय राजेश मुनि ने श्रावक श्राविकाओं को आज के उपवास आयम्बिल एकासन के पछकाण करवाये वहीं ।इससे पूर्व आचार्य श्री क बड़ीसादड़ी पहुंचने पर नगरपालिका अध्यक्ष विनोद कंठालिया ओमशान्ति गौशाला अध्यक्ष प्रकाश धाकड़ अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम रांका स्थानीय संघ अध्यक्ष प्रकाश मेहता समता युवा संघ अध्ययन धनपाल मेहता व हजारों श्रावक श्राविकाओं ने शहर के तीन किलोमीटर पहले गजनदेवी गांव पहुंच कर आचार्य श्री व सन्त मण्डल की गर्मजोशी से आगवानी की ओर जयकारों के साथ नगर में प्रवेश करवाया ।
5 वर्ष बाद बड़ीसादड़ी आये आचार्य रामेश
2003 में आचार्य रमेश /रामलाल महाराज ने बड़ीसादड़ी में वर्षावास किया था उसके 15 वर्ष बाद 2018 में रतलाम वर्षावास करने के बाद बड़ीसादड़ी आये और अब 5 वर्ष बाद बड़ीसादड़ी की जनता को उनके शहर में दर्शन हुए जिसे पाकर लोग धन्य हो गये।
जैन भगवती दीक्षा आज
आचार्य रामलाल महाराज के मुखारबिंद से गुरुवार को कर्नाटक की मुमुक्षु लक्की सुराणा को दीक्षा प्रदान की जाएगी बुधवार को उनका वरघोड़ा निकाला गया और केसरछँटाई कार्यक्रम आयोजित किया गया।
सैंकड़ों लोग पहुंचे और आगमन जारी
दीक्षा के साक्षी बनने और अपने गुरु के दर्शन पाने के लिए सैंकड़ों लोग बड़ीसादड़ी पहुंच गए और आगमन जारी रहा बताया गया कि 500 से अधिक लोग कर्नाटक से पहुंच गए और देश के अन्य कई राज्यों व प्रान्तों के लोग यहां बसों ओर ट्रेनों से तथा हवाई मार्ग से आ रहे है।