बड़े लोग बड़ी पसंद! और दो हज़ार के नोट बन्द‼️*

नोटों को बदलने का गोरखधंधा शुरू! दलालों की चाँदी! _*बाज़ारों में दो हज़ार के नोट हुए दर ब दर : अवैद्य बच्चों की तरह!

बड़े लोग बड़ी पसंद! और दो हज़ार के नोट बन्द‼️*

*‼️बड़े लोग बड़ी पसंद! और दो हज़ार के नोट बन्द‼️*

ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़

_*नोटों को बदलने का गोरखधंधा शुरू! दलालों की चाँदी!*_

_*बाज़ारों में दो हज़ार के नोट हुए दर ब दर : अवैद्य बच्चों की तरह!*_

*दो हज़ार के नोट जो कल तक बड़े आदर के साथ ! बड़ी मुहब्बत के साथ! बड़े ही सुल्तानी अंदाज़ में बाज़ार की जान हुआ करते थे अब छुआछूत के शिकार हो चुके हैं। रिजर्व बैंक ने उनको अवैध बच्चे की तरह दर ब दर कर दिया है। नोटबन्दी के छह साल बाद ! बड़े सम्मान के साथ बाज़ार में उतारे गए दो हज़ार के नोट अब बेग़ैरत कर दिए गए हैं! और तीन दिन में ही उनको हर शहर में बेक़दरी का शिकार बना दिया गया है।*

                      *देश में जो सलूक़ दो हज़ार के नोटों से किया जा रहा है वह तो कोई दुश्मन अपने दुश्मन के साथ भी नहीं करता। राजस्थान में शायद सबसे ज़्यादा बदसलूकी इनके साथ की जा रही है।*
                 *यद्यपि बैंक के नियमानुसार दो हज़ार के नोट अभी बाज़ार से बाहर नहीं किये गए हैं। यदि कोई भी इनके लेने से मना करता है तो वह क़ानून की दृष्टि से ग़लत है मगर दुकानों पर इनका लेन देन  99 प्रतिशत बन्द हो गया है।दुकानदार साफ़ तौर पर ये नोट स्वीकार नहीं कर रहे। दारू की दुकानों, पेट्रोल पंपों पर ज़रूर थोड़ी बहुत इज़्ज़त इन नोटों की हो रही है।*
                 *बड़े बड़े शो रूम्स वाले दो हज़ार के नोट देखते ही बिफ़र रहे हैं। कुछ शो रूम्स पर तो लिखित में तख़्ती टांग दी गई है जिस पर दो हज़ार के नोट नहीं देने के फ़रमान ज़ारी हैं।*


                   *सूचना तंत्र की ख़ूबी यह है कि शहर ही नहीं गांवों तक में लोग एक दूसरे से ये नोट नहीं ले रहे। शादी विवाह और जन्मदिन पर बतौर गिफ़्ट भी लोग दो हज़ार के नोट लेने से हाथ जोड़ रहे हैं।*
               *मैंने अपने मित्र से कुछ दो हज़ार के नोट चलाने को कहा तो उसने बड़े मज़े से कहा जितने नोट हों ले आओ!ले लूँगा! मगर...हर दो हज़ार के नोट 19 सौ में लूँगा!*
                       *इधर बड़े व्यापारियों का कहना है कि उधोग धंधे में अब दो हज़ार के नोट पूरी तरह हिक़ारत से देखे जा रहे हैं। सामानों की अग्रिम बुकिंग में दो हज़ार के नोट ज़रा भी नहीं लिए जा रहे।*
                        *कई लोग जिन्होंने अपने मित्रों से मोटी रक़म उधार ले रखी थी वह उनको दो हज़ार के नोटों से उधार चुकाने को तैयार हैं मगर मित्र हाथ जोड़ कर दस दस रुपए की गड्डी लेने को तैयार हैं मगर दो हज़ार की गड्डी लेने से मना कर रहे हैं।*
              *ऐसे में नोटबन्दी के दौरान बन्द किए गए पाँच पांच सौ के नोट अपनी इज़्ज़त बढ़ने से बेहद ख़ुश हैं। जिस तरह छोटे लोग बड़े लोगों की बेक़दरी से ख़ुश होते हैं उसी तरह।*
                     *दो हज़ार के नोट ने कल रात रोते हुए पाँच सौ के नोट्स से कहा "बेटा!हमको इतनी हिक़ारत से मत देख! ये मोदी राज है! यहाँ तेरी इज़्ज़त भी सुरक्षित नहीं! पता नहीं कब तुझे भी बाज़ार से निकाल कर कचरा डिपो में भेज दिया जाए!"*
                  *पाँच सौ के नोट भी तब से चिंता में हैं। छह साल पहले की बेक़दरी उनको याद आ रही है!*
                    *देश मे सिर्फ़ रेज़गारी ही ख़ुद को सुरक्षित मान कर चल रही है वरना नोट तो सारे के सारे अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं।*
              *दो हज़ार के नोट प्रचलन से बाहर करने के पीछे क्या कारण हैं सब जानते हैं।चुनावों के पहले यह फ़ैसला राजनीतिक पार्टियों के लिए ख़तरनाक है। चुनाव के लिए सुरक्षित फंड इन्ही नोटों से बनाए गए थे। भाजपा ने हो सकता हो पहले अपने फंड दूसरी करेंसी में बदल लिए हों मगर दूसरी पार्टियों के लिए इनका परिवर्तन मुश्किल होगा।*
                     *पिछली बार नोटबन्दी में जब पांच सौ के नोट प्रतिबंधित कर दिए गए थे, तब ही सरकार का उद्देश्य यही था। आतंकवाद को पनपा रहे लोग नक़ली नोट छाप रहे थे।उनको बाज़ार से बाहर करने के लिए नोट प्रतिबंधित किये गए थे मगर बाद में दो हज़ार के नोट भी नक़ली छापे जाने लगे और बाज़ार में फिर असली नोट इज़्ज़त बचाने को मजबूर हो गए।*
                               *अब जबकि दो हज़ार के नोटों पर गाज़ गिराई गयी है यह तय है कि फिर इनके बदले कोई नई करेंसी बाज़ार में उतारी जाएगी। बाज़ार गर्म है। पांच सौ के नोटो पर ख़तरा मंडरा रहा है। व्यापारियों की नाक में दम हो चुका है। हर व्यापारी चाहे वह छोटा हो या बड़ा , अपने यहाँ बड़े नोट इमरजेंसी के लिए बचा कर रखता है मगर सरकार के फ़ैसलों से उसे सब काम छोड़ कर पहले सुरक्षित रखे नोटों को ठिकाने लगाने के इंतज़ाम करने पड़ते हैं। ऐसे में उनके मूल व्यापार को अप्रत्यक्ष रूप से काफ़ी धक्का लगता है।*
                  *यहां एक बात और! देश भर में दो हज़ार के नोटों को उचित स्थान तक पहुंचाने वाले दल्ले मैदान में उतर चुके हैं! बैंकों के मैनेजर मुस्कुरा रहे हैं! अब आएगा मज़ा खेल का! करोड़ों के खेल होंगे! लाखों के कमीशन के वारे न्यारे होंगे! बाज़ार में अभी से पुराने धंधेबाज़ गुफाओं से बाहर निकल आये हैं।*
                     *ज़ाहिर है कि आने वाले साल तक यह नई नोटबन्दी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगी। इस नए बदलाव से सरकार को क्या लाभ होगा वह जानें मगर आम व्यापारी इस रोज़ रोज़ के रद्दोबदल से दुखी हो चुका है।*