मिट्टी स्नान कर जाना प्राकृतिक चिकित्सा का राज: योगाचार्य मेनारिया
बड़ीसादड़ी शरीर पर लगी मिट्टी या धूल उतारने के लिए हर कोई स्नान करता है, लेकिन मिट्टी से स्नान करते नहीं देखा और सुना होगा। लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा लेने के लिए मिट्टी का स्नान किया गया।

मिट्टी स्नान कर जाना प्राकृतिक चिकित्सा का राज: योगाचार्य मेनारिया
पत्रकार राम सिंह मीणा रघुनाथपुरा/ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़
19मई
बड़ीसादड़ी
शरीर पर लगी मिट्टी या धूल उतारने के लिए हर कोई स्नान करता है, लेकिन मिट्टी से स्नान करते नहीं देखा और सुना होगा। लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा लेने के लिए मिट्टी का स्नान किया गया।
बड़ीसादड़ी उपखंड के महुडा निवासी योगाचार्य शम्भु लाल मेनारिया ने जानकारी देते हुए कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के जरिये हम बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज पा सकते हैं। जो अन्य के मुकाबले काफी सस्ता है। योगाचार्य मेनारिया ने कहा की प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार मिट्टी, पानी, धूप, हवा सब रोगों की सही दवा है। बताया कि मिट्टी में अनेक रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। मिट्टी का लेप शरीर को बाहर से सुंदर और अंदर से स्वस्थ बनाता है। इसके उपयोग से त्वचा सुंदर होती है। यह तनाव, अनिद्रा और घबराहट जैसी मानसिक परेशानियों से निजात दिलाती है। कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के इस विद्या का प्रयोग त्वचा रोग जैसे दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी, एग्जिमा के साथ ही त्वचा के निखार को बढ़ाने, प्राकृतिक रंग को निखारने में होता है। इसके अलावा मिट्टी का लेप मानसिक रोगों के इलाज में कारगर है। यह तनाव को कम करने में सहायक होता है। इसके साथ ही नींद न आने, घबराहट, बेचैनी और दूसरे मानसिक रोगों के इलाज में भी यह प्रयोग की जाती है। प्राकृतिक चिकित्सा में माटी का प्रयोग कई रोगों के निवारण में प्राचीन काल से ही होता आया है। नई वैज्ञानिक शोध में यह प्रमाणित हो चुका है कि माटी चिकित्सा शरीर को तरो ताजा करने जीवंत और उर्जावान बनाने में महती उपयोगिता है। चर्म विकृति और घावों को ठीक करने में मिट्टी चिकित्सा अपना महत्व साबित कर चुकी है। माना जाता रहा है कि शरीर माटी का पुतला है और माटी के प्रयोग से ही शरीर की बीमारियां दूर की जा सकती हैं।