लघु पंच कल्याण महोत्सव घट व श्री जी की शोभायात्रा के साथ हुआ आयोजन

(दिलखुश टाटावत)
देवली। शहर के कूंचलवाड़ा रोड़ कॉलोनी में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में गुरुवार से लघु पंच कल्याण महोत्सव घट व श्री जी की शोभायात्रा के साथ शुरू हो गया।आयोजन स्थल पर ध्वजारोहण,मंडप उद्घाटन,चित्र अनावरण कार्यक्रमों बाद प्रवचन हुए। धर्मसभा में आर्यिका गणिनी स्वस्तिभूषण माताजी ने कहा कि मनुष्य जीव ही गर्भ,जन्म,तप,ज्ञान एवं मोक्ष की पंच कल्याणक क्रियाओं से भगवान बनते है।वह मां सौभाग्यशाली होती है जिनके कोख में भगवान आते है और मां की सेवा में देवियां आती है।एक नारी पूर्ण तब ही समझती है जब उसकी कोख में तीर्थंकर जीव आए तो तीनों लोक में खुशियां आ जाती है।उन्होंने कहा पंचकल्याणक भावों से करें तो असंख्य पूण्य और अनंत पापों का नाश करता है।जिस तरह लाभ शब्द को उल्टा करेंगे तो भला होता है वैसा ही महत्व पंचकल्याणक का है।वही मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने कहा पंचम काल मे भगवान पैदा नही होते।लेकिन पंचकल्याणक में उसकी तरह की क्रिया से पाषाण से भगवान बनाने की क्रिया संपन्न की जाती है।उन्होंने कहा कुंभकार मिट्टी को मिलाकर तपडे लगाकर आकर देता है।वही तपकर घड़ा बनकर पानी भरने पर शीतलता और सिर पर धारण कर मंगल बन जाता है।वैसे ही मनुष्य जीवन में तप व तपस्या कर केवलज्ञान की शक्ति प्राप्त करें।मुनिश्री ने कार्यक्रम में ध्वजारोहण करने को विजय व समृद्वि का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा पंचकल्याणक में श्रद्धा और शुद्वता से की क्रियाओं के बाद पाषाण की प्रतिमा भी जिनालयों में स्थापित होने पर अतिशय करी हो जाएगी। महोत्सव पर निकाली घट व श्रीजी की शोभायात्रा--महोत्सव की शुरुआत में श्री महावीर मंदिर से मुनि वैराग्य सागर,मुनि सुप्रभ सागर,आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी के सानिध्य में घट व श्रीजी की शोभायात्रा मुख्य बाजार,पेट्रोल पंप होकर कूंचलवाड़ा रोड से जैन कॉलोनी आयोजन स्थल पहुंची।जिसमे बैण्ड बाजे एवं घोड़ी बग्गियों में भगवान के माता-पिता, सोधर्म इन्द्र परिवार,यज्ञ नायक, कुबेर इन्द्र, सानत, इशान इन्द्र,महेन्द्र,ब्रह्म इन्द्र, ब्रह्मोत्तर,लान्तव इन्द्र,कपिष्ठ ,शुक्र इन्द्र, महाशुक्र,सत्तार इन्द्र बैठे थे।वही महिला, युवा मण्डल एवं पुरुष भजनों पर नृत्य कर साथ चल रहे थे।