नेपाल की प्रसिद्ध लेखक साहित्यकार भवानी न्यौपाने "भावना" का निहाल दैनिक समाचार के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर (देवी लाल बैरवा) ने दुरभाष के द्वारा साक्षात्कार लिया गया

नेपाल की प्रसिद्ध लेखक साहित्यकार भवानी न्यौपाने "भावना" का निहाल दैनिक समाचार के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर (देवी लाल बैरवा) ने दुरभाष के द्वारा साक्षात्कार लिया गया

निहाल दैनिक समाचार पत्र / NDNEWS24X7

रिपोर्ट देवी लाल बैरवा जयपुर भारत

Q : भावना जी आपका निहाल दैनिक समाचार पत्र (जयपुर भारत) में आपका बहुत-बहुत स्वागत है l दूरियां ज्यादा होने के कारण हम आपसे फोन के द्वारा ही इंटरव्यू ले लेते हैं सबसे पहले तो आप आपका पुरा परिचय बताइए l

Ans: मेरा नाम भवानी न्यौपाने है, मैं एक स्थायी सरकारी शिक्षक हूंँ। मेरा आजीवन साहित्यिक लेखन और यात्रा में बीता है, मैं पूरे देश में साहित्यिक संगठनों से जुड़ी हुई हूं।

Q: अभी आप वर्तमान में क्या कर रही हो? 

Ans: दाङ जिले के सरकारी स्कूल माध्यमिक विद्यालय दोघरे मे शिक्षिका हूं l अभी यहां कार्यरत हुँ। साहित्य लेखन और सामाजिक सेवा में भी व्यस्त हूँ l

Q: अब तक आपकी कितनी रचनाएँ प्रकाशित की हैं?

Ans: शास्त्रीय ग़ज़लों का संग्रह, कविताओं का संग्रह, कविताओं का संग्रह सात साल पहले प्रकाशित हुआ है। वर्तमान में तीन अन्य कार्य-नियम संग्रह, कथा संग्रह, और छंद कविता संग्रह तैयार किए जा रहे हैं।

Q: अब तक आपको कहां-कहां से सम्मानित किया गया है? 

Ans: पड़ोसी देश भारत ने मुझे चार बार सम्मान दिया हैं। इसी तरह नेपाल में राष्ट्रीय शिक्षा और साहित्यिक सम्मान के साथ देश के पूर्वी ओखलधुंगा से लेकर सुदूर पश्चिम महेंद्रनगर तक विभिन्न जिलों से तीन दर्जन से अधिक सम्मान प्राप्त हुआ है।

Q: आपकी ग़ज़लें, कविताएँ, कहानियाँ, हाइकू, नियम, मुक्तक कहाँ से प्रकाशित हुई है? 

Ans: मेरी रचनाएँ यूके के हिमालय टाइम्स, एनडी न्यूज़ 24x7, निहाल दैनिक समाचार जयपुर राजस्थान, सिक्किम के सिक्किम साहित्य दर्पण और नेपाल के हर जिले से अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।

Q: अब और क्या नया कर रहे हो आप?

Ans: मैं कुछ नया काम करने जा रही हूं l और एल्बम प्रकाशित करने की तैयारी कर रही हूं।

Q: आप अपने परिवार के बारे में बताएं?

Ans: मेरे पिता पवित्रा राज न्यौपाने और मां विमला न्यौपाने ने मुझे जन्म दिया। एक भाई दो बहनें हैं l मेरे दो बच्चे हैं l बेटी वर्षा रेग्मी, व बेटा विवेक रेग्मी है। एवं श्री कपिल रेग्मी और सास परिवार में है।

Q: साहित्य के क्षेत्र में आपको आगे बढ़ने में आपके परिवार का क्या योगदान रहा?

Ans: मुझे जन्म देने वाले पिता ने मुझे कम उम्र में ही साहित्य के बारे में जानकारी दी, यह कहा कि साहित्य इस तरह लिखा जाता है, उसने बच्चे के मस्तिष्क में साहित्य की सुगंध फैला दी। मैं देश में अपने ही भाई के साहित्यिक योगदान को देखता रही। और मां भी उतनी ही सक्रिय रही l रचनात्मक व्यक्तित्व है। चाचा धर्मराज न्यौपाने भी लेखक हैं। पूरा परिवार साहित्य की उत्पत्ति के कारण ही साहित्य की नींव बचपन में पड़ी। धीरे-धीरे मेरा साहित्य के प्रति आकर्षण बढ़ता गया और मैं अधिकाधिक लिखती गई। मैं लगातार लिख रही हूं। लिखते समय राष्ट्रीय कवि माधव घिमिरे को प्रबल प्रेरणा मिली। डांग जिले के गुरु स्वर्गीय गधाधर पौडेलजू ने पद्य की अवधारणा पेश की, जबकि दिलीराज श्रीधर दाजू ने भी एक प्रेरक भूमिका निभाई। लिखते-लिखते विभिन्न संस्थाओं ने उन्हें पुरस्कृत और सम्मानित करना शुरू कर दिया, जिससे आगे बढ़ने की प्रबल ऊर्जा जुड़ गई। मेरे बेटे विवेक ने घर पर मेरी साहित्यिक यात्रा को कभी बाधित नहीं करके साहित्य में और अधिक ईंटें जोड़ने में मदद की। बेटी वर्षा ने भी मुझे अपने भाई और खुद के साथ अकेले कार्यक्रम में जाने दिया। मेरे छोटा बच्चा होते हुए भी मेरी साहित्यिक यात्रा को कभी नहीं रोका। भूख लगने पर घर की देखभाल करते हुए वह मुझे बिना रुके कार्यक्रम में भेजते रहे।

Q: नये लेखकों के बारे आप क्या कहना चाहते हैं? 

Ans: अभ्यास जारी रखें। देश में स्थापित कवियों के कार्यों का अध्ययन करें। कभी भी लिखना बंद न करें, एक दिन आप एक सफल लेखक बनेंगे।

Q: आपको मीडिया के क्षेत्र में कौन कौन से लौगों का सहयोग रहा है?

Ans: पोखरा के मिलन तमू, डांग के दीपक बोहरा, काठमांडू के शांताराम बिदारी, पूर्वी क्षेत्र के रमेश हटुवाली और भारत के देवीलाल बैरवा की आभारी हूं, जिन्होंने मेरी रचना को अपनी पत्रिका के पहले पन्ने पर लगा कर मेरा मान सम्मान रखा, मेरे विचारों को तवज्जो दी क्योंकि वो भी लेखक गीतकार है ।

Q: आपका वर्तमान स्थायी निवास कहाँ है? 

Ans: मैं दाङ जिले के उपमहानगर कृष्णा टोल सी लाइन तुलसीपुर के पुराने बस पार्क में रहती हूं।