भारतीय महिलाएं परेशानियों के बाद भी खुश : राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख बोलीं , कॉन्फिडेंस ऐसा कि घूंघट में भी करती पथ संचलन

भारतीय महिलाएं परेशानियों के बाद भी खुश : राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख बोलीं , कॉन्फिडेंस ऐसा कि घूंघट में भी करती पथ संचलन

राष्ट्र सेविका समिति के प्रमुख संचालिका शांता अक्का आज चित्तौड़गढ़ आई । उन्होंने कहा कि समिति के महिलाओं ने पूरे देश में गांव - गांव जाकर सर्वे किया है । सर्वे से यही पता चला कि भारत में रहने वाले 77 प्रतिशत महिलाएं हर परेशानियों के बावजूद भी खुश से रह रही है । महिलाओं को अपने परिवार को भी संभालना होता है , यहीं हमारी संस्कृति है । उनका कहना है कि महिलाओं में कॉन्फिडेंस जगाना , ज्यादा से ज्यादा समिति से जोड़ना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है । तेजस्वी हिंदू राष्ट्र का पुनर्निर्माण करना ही उद्देश्य उदयपुर से निंबाहेड़ा , चित्तौड़गढ़ होते हुए भीलवाड़ा कल बुधवार को पथ संचलन में भाग लेने जा रही राष्ट्र सेविका समिति के प्रमुख संचालिका शांता अक्का आज मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए पत्रकारों से रूबरू हुई । इस दौरान उन्होंने बताया कि महिलाओं को राष्ट्र के प्रति जागृत करना , तेजस्वी हिंदू राष्ट्र का पुनर्निर्माण करना ही हमारा मूल उद्देश्य है । देश के अलग - अलग प्रांत में हर साल हमारा प्रवास करते है । कोशिश की जाती है कि सभी महिलाओं को इस में जोड़ा जाए । पहले राजस्थान में महिलाओं से कोई भी सहयोग नहीं मिल पाता था , लेकिन अब काफी महिलाएं जुड़ने लगी है । भारतीय महिलाओं में संस्कार और कॉन्फिडेंस इसी बात से दिखता है कि कई पथ संचलन में महिलाएं घुंघट के साथ भाग लेती है ।

अगर महिला खुश रहती है तो उसका परिवार खुश रहता है उन्होंने बताया कि एक भारतीय महिला में ही इतनी शक्ति होती है कि वह आठ काम एक साथ कर सके । हजारों परेशानी आने के बावजूद भी देश की 77 प्रतिशत महिलाओं ने यह कहा कि वह अपने घरों में ख़ुशी से रहती है । एक महिला अगर खुश रहती है तो सिर्फ उस परिवार का ही नहीं , बल्कि राष्ट्र का भी विकास होता है । राष्ट्र के लिए उसे जागृत करने से उसके मन में देश के लिए प्यार जगेगा , वो संस्कार परिवार तक पहुंचेगा । परिवार को अच्छा संस्कार मिलेगा । हम इसी चीज की ट्रेनिंग देते हैं । समाज को बदलनी चाहिए अपनी सोच उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जब किसानों ने आत्महत्या की थी तो उनके परिवार की महिलाओं से भी हमने बात की थी । महिलाओं का कहना है कि हम आत्महत्या जैसे कदम नहीं उठाएंगे , क्योंकि हमें परिवार और बच्चों को देखना है । उन्हें हमने स्वावलंबन प्रशिक्षण देकर खुद के पैरों पर खड़ा होना सिखाया । महिलाएं और आदमी दोनों अलग - अलग नहीं होते । बस दोनों पूरक होते हैं । उनमें भेदभाव नहीं होना चाहिए । यह सोच समाज के साथ - साथ महिलाओं और पुरुषों को भी बदलनी चाहिए । हमारे बीच कोई कंपटीशन नहीं है । हिंदू महिलाओं को मौके की जरूरत होती है , इसलिए हमने मौका भी देते हैं । उनको सेल्फ डिफेंस के लिए भी प्रैक्टिस करवाते हैं ।