घोसुंडा बांध पर हिंदुस्तान जिंक के खिलाफ दिया जा रहा धरना हुआ समाप्त सभी बिंदुओं पर बनी सहमति।
शम्भूपुरा। घोसुंडा बांध पर जनप्रतिनिधियों किसानों युवाओं के द्वारा दिया जा रहा धरना सभी बिंदुओं पर सहमति के पश्चात समाप्त किया गया सुबह से देर शाम तक बड़ी संख्या में सैकड़ों ग्रामवासी युवाओं बेरोजगारों ने घोसुंडा बांध पर प्रदर्शन किया
घोसुंदा बांध पर हिंदुस्तान की जीत के लिए दिया जा रहा धरना हुआ सभी पक्षों पर बनी सहमति बनी।
पत्रकार ओम जैन / ब्यूरो प्रमुख एम के जोशी चित्तचौरगढ़
शम्भूपुरा। घोसुंडा बांध पर जनप्रतिनिधियों किसानों युवाओं द्वारा दिया जा रहा धरना सभी स्वीकार्यता पर सहमति के बाद सुबह से देर शाम तक बड़ी संख्या में सैकड़ों ग्रामवासी मतदाताओं ने घोसुंडा बांध पर प्रदर्शन किया
था जिस पर राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत, जिला कलक्टर अरविंद कुमार पोसवाल, नगर परिषद सभापति संदीप शर्मा, एसडीएम राम चंद्र खटीक, डिप्टी बुद्धराज टांक, जीत प्रशासन की और से निर्णय से आए सीईओ सी चंद्रू के साथ जीत प्रबंधन की और से विशाल अग्रवाल, सुनील सांबला जनप्रतिनिधियों में शोभालाल धाकड़, महावीर सिंह डेलवास, विक्रम जाट, दिनेश भोई के साथ जिला कलेक्टर कार्यालय पर समझौता वार्ता शुरू हुई, लगभग 1 घंटे चली इस बैठक में सभी याचिका पर आपसी सहमति बन गई, जिसमें मांगे पूर्णता करने का प्रबंधन जिला कलेक्टर अरविन्द कुमार पोसवाल को संकलित किया गया जिसमें मुख्य 3 मांगो में घोसुंडा तालाब में सर प्लस पानी होने पर बांध का पानी छोड़ा गया, होड़ा गांव की सीसी रोड जिन्होंने नहीं लिया उनका रोजगार की दर से गोरखपुर, टिकिया का खेड़ा गांव में भरना अन्य संभावनाओं पर भी सहमति बनी है।
बेरोजगारों को रोजगार संबंधित मांग पर आने वाल फर्टिलाइजर प्लांट में कुशल अकुशल श्रमिक को नियोजित किया जायेगा। हिंदुस्तान जिंक वेदांता प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के बीच समझौता मसौदा बनकर तैयार हुआ जिस पर सभी ग्रामीणों किसानों युवाओं ने आभार व्यक्त करते हुए हर्ष प्रकट किया।
उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान जिंक वेदांता के द्वारा की जा रही वादाखिलाफी और बेरोजगारों को रोजगार दिए जाने के संबंध में हिन्दुस्तान जिंक प्रबंधन के खिलाफ कांग्रेस पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों सरपंचगणों द्वारा समय समय पर ज्ञापन के माध्यम से उक्त समस्याओं के लिए जिला कलेक्टर को अवगत कार्य जाता रहा है बेरोजगार युवाओं की मांग को भी जिंक प्रबंधन द्वारा लगातार दरकिनार किया जाता रहा लेकिन सौहार्दपूर्ण वातावरण में सभी मांगों को मानकर लिया गया।