मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रही हूं

मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रही हूं

निहाल दैनिक समाचार / NDNEWS24X7

रिपोर्ट देवी लाल बैरवा जयपुर

( कविता )

मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रही हूं। हिम्मत के बदले दो वक़्त की रोटी पाना पढ़ा लिखा कर अपने बच्चे को ऊंचे पद पर पहुंचाना चाह रही हूं।

मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रही हूं बंगला गाड़ी का शौक नहीं एक छोटी सी कुटिया और परिवार के साथ जीना चाह रही हूं।

मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रही हूं देश की उन्नति राज्य की प्रगति और गांव की समृद्धि चाह रही हूं।

मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रही हूं। न हो भारत में कोई निर्धन न हो किसी की भुखमरी से मौत न हो कोई बेरोजगारी यही चाह रही हूं।

मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रही हूं।

मजदूर दिवस की हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं।

लक्ष्मी सिन्हा

प्रदेश (संगठन सचिव)

महिला प्रकोष्ठ रालोजपा (बिहार)