SBI रिपोर्ट का बड़ा खुलासा: अमेरिकी डेयरी उत्पादों के आयात से 8 करोड़ भारतीय किसानों की आजीविका पर खतरा
SBI रिपोर्ट का बड़ा खुलासा: अमेरिकी डेयरी उत्पादों के आयात से 8 करोड़ भारतीय किसानों की आजीविका पर खतरा

नई दिल्ली
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की हालिया रिपोर्ट ने अमेरिका के लिए भारतीय डेयरी सेक्टर को खोलने के संभावित दुष्परिणामों को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत अपने डेयरी बाज़ार को अमेरिकी डेयरी उत्पादों के लिए खोलता है, तो इसका सीधा असर देश के करीब 8 करोड़ डेयरी किसानों की आजीविका पर पड़ सकता है। यह रिपोर्ट विशेष रूप से ऐसे समय में आई है, जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौतों को लेकर बातचीत चल रही है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
SBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का डेयरी सेक्टर विश्व का सबसे बड़ा है और इसमें 75% से अधिक योगदान छोटे और सीमांत किसानों का है। ये किसान प्रतिदिन 2-5 लीटर दूध बेचकर अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करते हैं।
यदि अमेरिकी डेयरी कंपनियों को भारतीय बाज़ार में प्रवेश मिलता है, तो वह बड़े पैमाने पर प्रसंस्कृत दूध, चीज़, मक्खन और अन्य डेयरी उत्पादों को भारत में सस्ते दामों पर उपलब्ध करवा सकती हैं। इससे भारतीय उत्पादकों को प्रतिस्पर्धा देना कठिन हो जाएगा, क्योंकि उनके उत्पादन की लागत अधिक है।
⚠️ रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
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अमेरिका में डेयरी उद्योग अत्यधिक सब्सिडी पर निर्भर है, जिससे वे उत्पाद सस्ते दरों पर निर्यात कर सकते हैं।
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भारत में लगभग 8 करोड़ लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से डेयरी उद्योग से जुड़े हुए हैं, जिनमें से 70% महिलाएं हैं।
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भारतीय किसान औसतन 20-25 रुपये प्रति लीटर पर दूध बेचते हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियां 10-15 रुपये प्रति लीटर की लागत में तैयार उत्पाद भेज सकती हैं।
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यदि भारत में सस्ते अमेरिकी डेयरी उत्पाद आने लगे, तो स्थानीय सहकारी समितियों की भूमिका कमजोर हो सकती है, जिनके माध्यम से किसानों को उचित मूल्य मिलता है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इसका प्रभाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी पड़ेगा। ग्रामीण भारत में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी का एक बड़ा माध्यम डेयरी सेक्टर है। यदि यह क्षेत्र कमजोर होता है, तो ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता भी प्रभावित होगी।
SBI की सिफारिशें:
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सरकार को डेयरी सेक्टर को मुक्त करने से पहले दीर्घकालिक रणनीति बनानी चाहिए।
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स्थानीय उत्पादन और प्रसंस्करण पर सब्सिडी और सहायता बढ़ाई जाए।
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विदेशी उत्पादों पर मूल्य आधारित टैरिफ और कोटा प्रणाली लागू की जाए, ताकि घरेलू उद्योग सुरक्षित रहे।
यह रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि भारत के डेयरी बाजार को विदेशी खिलाड़ियों के लिए बिना सुरक्षा उपायों के खोलना आत्मघाती हो सकता है। 8 करोड़ किसानों की आजीविका को बचाए रखने के लिए सरकार को इस विषय में अत्यंत सतर्क निर्णय लेना होगा।