भारत के हर नागरिक को संविधान के कुछ अनुच्छेद पढ़ना और समझना बहुत जरूरी है, ताकि अपना जीवन राष्ट्र के लिए काम आ सके।

रिपोर्टर प्रकाश सोलंकी पीपलवास
अनुच्छेद 1. संघ का नाम और राज्यक्षेत्र - (1) भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा। अनुच्छेद 5 नागरिकता 1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 ), 2. स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 से 22 ), 3. शोषण के विरुद्ध अधिकार ( अनुच्छेद 23 से 24 ), 4. धार्मिक समानता का अधिकार( अनुच्छेद 25 से 28 ), 5. संस्कृति और शिक्षा का अधिकार ( अनुच्छेद 29 से 30 ), 6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32 से 35 )। अनुच्छेद 38 राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्ध के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा 1) राज्य ऐसे सामाजिक व्यवस्था करे, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय राष्ट्रीय जीवन की सभी
संस्थाओं को अनुप्राणित करे, भरसक प्रभावी रूप में स्थापना और संरक्षण करके लोक कल्याण की अभिवृद्धि का प्रयास करेगा। 2) राज्य विशिष्टतया आय की असमानताओं को कम करने का प्रयास करेगा और न केवल व्यक्तियों के बीच बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले और विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए लोगों के समूहों के बीच की प्रतिष्ठा, सुविधाओं और अवसरों की समानता समाप्त करने का प्रयास करेगा। अनुच्छेद 39 राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्व राज्य अपनी नीति का विशिष्टतया इस प्रकार संचालन करेगा की सुनिश्चित रूप से क) पुरुष और स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार हो ख) समुदाय के
भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार बंटा हो जिससे सामूहिक हित का सर्वोत्तम रूप से साधन हो। ग) आर्थिक व्यवस्था इस प्रकार चले जिससे धन और उत्पादन साधनों का सर्वसाधारण के लिए अहितकारी संकेदरण न ही घ) पुरुषों और स्त्रीयों दोनों का सामान कार्य के लिए समान वेतन हो; ड) पुरुष और स्त्री कर्मकारों के स्वास्थ्य और शक्ति का तथा बालकों को सुकुमार अवस्था का दुरुपयोग न हो और आर्थिक आवश्यकता से विवश होकर नागरिकों को ऐसे रोजगारों में न जाना पड़े जो उनकी आयु शक्ति के अनुकूल न हो; च) बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय वातावरण में स्वस्थ्य विकास के अक्सर सुविधाएं दी जाएगी और बालकों और अल्पव्य व्यक्तियों की शोषण से तथा नैतिक
और आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों का संगठन राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए एक कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हों (ग्यारहवी अनुसूची) अनुच्छेद 41- कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार राज्य अपनी आर्थिक सामर्थय और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने के,
शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा और निःशुल्कता तथा अन्य अन्तर्य अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा। अनुच्छेद 43 कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि- राज्य, उपयुक्त विधान या आर्थिक संगठन द्वारा या किसी अन्य रीति से कृषि के, उद्योग के या अन्य प्रकार के सभी कर्मकारों को काम, निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवन स्तर और अवकाश का संपूर्ण उपभोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का
प्रयास करेगा और विशिष्टतया ग्रामों में कुटीर उद्योगों को वैयक्तिक या सहकारी आधार पर बढ़ाने का प्रयास करेगा। अनुच्छेद 44 नागरिकों के लिए एक समान सिविल सहिता- ■ राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा। अनुच्छेद 45. छह वर्ष से कम बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध राज्य, इस संविधान के प्रारंभ से दस वर्ष की अवधि के भीतर सभी बालकों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक, निःशुल्क और अनवार्य शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास 1 करेगा। अनुच्छेद 47. पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्त्रय का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य राज्य, अपने लोगों
के पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊँचा करने और लोक स्वास्त्रय के सुधार को अपने प्राथमिक कर्तव्यों में मानेगा और राज्य, विशिष्टतया, मादक पेयों और स्वास्त्रय के लिए हानिकर औषधियों के औषधीय प्रयोजनों से भिन्न, उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा। अनुच्छेद 48. कृषि और पशुपालन का संगठन- राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा। भाग 4क, मूल कर्तव्य अनुच्छेद 51 क- भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह (क) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे (ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे (ग) भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे (घ) देश की रक्षा करे
और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की
सेवा करे (ङ) भारत के सभी लोगों में समानता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है (च) हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे; (छ) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और क्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे (ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे (झ) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे: (ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले (ट) यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे। *प्रकाश सोलंकी पीपलवास ,8619116023*