यूनिफॉर्म सिविल कोड का कानून बनते ही उत्तराखंड के नैनीताल में हिंसा, अगजनी। पेट्रोल बम से थाने सहित सैकड़ों वाहनों को जलाया।

उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रस्ताव मंजूर हो गया। कानून बनते ही 8 फरवरी को उत्तराखंड के नैनीताल में हल्द्वानी में आगजनी और हिंसा हुई। उपद्रवियों ने पहले छतो पर से पत्थर बरसाए और फिर पुलिस थाने सहित सैकड़ों वाहनों को पेट्रोल बमों से जला दिया। करीब 100 पुलिस वाले जख्मी हुए। प्रशासन ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए हैं।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का कानून बनते ही उत्तराखंड के नैनीताल में हिंसा, अगजनी। पेट्रोल बम से थाने सहित सैकड़ों वाहनों को जलाया।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का कानून बनते ही उत्तराखंड के नैनीताल में हिंसा, अगजनी। पेट्रोल बम से थाने सहित सैकड़ों वाहनों को जलाया।

अवैध मदरसे को तोड़ने की आड़ ली गई। इससे देश की हालातो का अंदाजा लगाया जा सकता है।

7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रस्ताव मंजूर हो गया। कानून बनते ही 8 फरवरी को उत्तराखंड के नैनीताल में हल्द्वानी में आगजनी और हिंसा हुई। उपद्रवियों ने पहले छतो पर से पत्थर बरसाए और फिर पुलिस थाने सहित सैकड़ों वाहनों को पेट्रोल बमों से जला दिया। करीब 100 पुलिस वाले जख्मी हुए। प्रशासन ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए हैं।

इसके साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया है और इंटरनेट बंद कर दिया है। केंद्रीय सुरक्षा बलों की भी तैनाती हो गई है। हालांकि उपद्रव का कारण हल्द्वानी के बनभूलपुरा में सरकारी जमीन पर बने मदरसे को तोड़ने बताया जा रहा है, लेकिन नैनीताल के डीएम वंदना सिंह का कहना है कि बनभूलपुरा में हाईकोर्ट के आदेश से अतिक्रमण हटाए जा रहे थे। अतिक्रमण हटाने का काम पिछले कई दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। उन्हीं निर्माण को हटाया जा रहा है जो सरकारी जमीन पर बने थे। लेकिन 8 फरवरी को अचानक नगर निगम के दल पर हमला किया गया। उपद्रवियों ने घरों की छतों पर एकत्रित होकर पत्थरों से हमला किया। वंदना सिंह का कहना है कि जिस कथित मदरसे को तोड़ने जाने की बात कही जा रही है उस मदरसे का कोई विधिक सबूत नहीं है। सरकार से किसी भी स्तर पर मदरसे की मान्यता नहीं ली गई है। वैसे भी कथित मदरसे के भवन को तीन दिन पहले ही सीज कर दिया गया था। क्योंकि अतिक्रमण हटाने का काम शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था इसलिए प्रशासन को 8 फरवरी की हिंसा की उम्मीद नहीं थी। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सुनियोजित तरीके से 8 फरवरी को हिंसा करवाई गई। इस हिंसा के लिए पहले से तैयारी की गई थी इसलिए बड़ी संख्या में पेट्रोल बम फेंके गए। आरोप है कि रेलवे की 78 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। इसमें से 29 एकड़ भूमि पर गफूर बस्ती बन गई थी। गफूर बस्ती में ही निजी स्तर पर मदरसा बनाया गया।

हालात का अंदाजा:

8 फरवरी को हल्द्वानी में जो कुछ भी हुआ उस देश के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। समुदाय विशेष में ऐसे तत्व है जो देश में कानून व्यवस्था को पसंद नहीं करते। जानकारों की मानें तो उपद्रव का एक कारण उत्तराखंड में यूसीसी का लागू होना भी है। ऐसे तत्व सक्रिय हो गए हैं जो यूसीसी को लागू होने देना नहीं चाहते। सवाल उठता है कि हल्द्वानी में गत पिछले कई दिनों से अतिक्रमण हटाए जा रहे थे तब 8 फरवरी को अचानक हिंसा क्यों हुई? क्या इस हिंसा के पीछे 7 फरवरी को यूसीसी का प्रस्ताव पास होना तो नहीं? यदि कथित मदरसा तोड़ने की आड़ में यूसीसी का विरोध किया गया है तो यह देश के लिए खतरनाक स्थिति है। उत्तराखंड सरकार को उन उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने पुलिस थाने और सैकड़ों वाहनों को जलाया। नैनीताल के डीएम वंदना सिंह ने कहा कि सीसीटीवी की मदद से उपद्रवियों की पहचान की जाएगी।