अंगदान, देह दान से किसी का जीवन बचता है,इससे बडा उपकार ओर नही--
चितोडगढ 4 अगस्त राजस्थान सरकार तथा सरकार के चिकित्सा विभाग की अहम पहल कि प्रदेश में सभी सरकारी गैर सरकारी तथा आम जन में अंगदान, देहदान करने में समझ ओर जागरूकता लाइ जाऐ

अंगदान, देह दान से किसी का जीवन बचता है,इससे बडा उपकार ओर नही--
संवादाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़
नशा मुक्त, निरोग शरीर होता है अंगदान, देहदान के योग्य---ओजस्वी
चितोडगढ 4 अगस्त
राजस्थान सरकार तथा सरकार के चिकित्सा विभाग की अहम पहल कि प्रदेश में सभी सरकारी गैर सरकारी तथा आम जन में अंगदान, देहदान करने में समझ ओर जागरूकता लाइ जाऐ।
भारतीय दलित साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष तथा सामाजिक सुधार वादी लेखक मदन सालवी ओजस्वी ने इस पहल की सराहना करते हूऐ लिखते हे कि
हम अपने शरीर को निरोग रखें, किसी भी तरह के नशे से दूर रखें, अपना खान पान शुध्द व सात्विक रखें तो अपना शरीर निरोग रह कर अधिक उपयोगी होगा।
ओजस्वी लिखते है कि
मनुष्य का जीवन जितना महत्वपूर्ण है उतना ओर नही, मनुष्य इस बात की समझ रखे कि यदि शरीर से इसमें बसी हवा जिसे आत्मा कहा जाता हे, निकाले के बाद शरीर को जला देना,दफनाया होता है, यदि मृत्यु के बाद भी इस शरीर का उपभोग किसी की जान बचाने में उपभोग हो तो इससे नेक ओर भला काम इस जीवन ओर कोई हो नही सकता।
ओजस्वी लिखते है कि इस विषय को समझकर हमने कभी से पति पत्नि ने देह दान की प्रमाणिक घोषणा कर चुके है। यदि मृत्यु के बाद हमारा शरीर मेडीकल उपभोग के लिए काम आता है, तथा अंग दान में शरीर के विभिन्न भाग जिनमें
यकृत, गुर्दे, नस, हृदय, आंत, आंख, फेंफडे, हड्डी, हृदय वाल्व, अगनाशय, रक्त वाहिकाऐ, कणडरा, आदि का यदि हम दान करने की समझ रखें ओर यह दान करने करने के बाद किसी ओर के शरीर में लगकर वह जीवन पाये तो आपके जीवन की उम्र कितनी बढ जाएगी। ओर कितना बडा भला काम इस जीवन से सॅभव।हो जाता है।
ओजसवी लिखते है कि हमें इसके लिए स्वस्थ्य, मानसिक रूप से, शारिरीक तोर पर ,बौद्धिक रूप से भले सोच विचार, आचरण के साथ साथ निरोग तथा नशा मुक्त जीवन को जिऐ, जिससे बहुमुल्य जीवन में रोग बिमारी होने से बचा जा सके, किसी भी तरह का नशा नही करने वाला शरीर अधिक उपयोगी होता है।
इस विषय में यदि किन्ही के दिमांग में अंधविश्वास रूढ़िवाद आडम्बर की भावना हो तो वह इस तरह की भावना से बाहर निकलकर वैज्ञानिक समझ के साथ सोचना शुरू करें। आज हमें जब अचानक रक्त की आवश्यकता होने पर रक्त शरीर में चढाना आवश्यक है, उसी तरह आज बढती दुर्घटनाओं, को देखते हूऐ शरीर के अंग अधिकतर टूट फूट रहे हे तथा जाने जा रही।है, यदि किसी को समय पर पक्का पुख्ता इलाज मिलते हूऐ जरूरत होने पर शरीर के आवश्यक जरूरत के अंग मिलते रहे तो अनेक लोगों के जीवन बच सकते है।
ओजस्वी ने देश मे बढती चिकित्सा व्यवस्था के प्रति प्रसन्नता व्यक्त करते हूऐ लिखा कि हाल ही में एक समाचार पढने में आया कि किसी बालक की दुर्घटना वस गर्दन कट गई, उसे तत्काल ही बडे चिकित्सालय ले जाया गया जहां अलग हूई गर्दन को वापस जोड दिया गया।
इससे बडी बात ओर क्या हो सकती।है, इससे जाहिर है कि हम इस बात की समझ रखें कि यदि किसी के साथ कोई ऐसी घटना हो जाऐ तो मरा हूआ समझकर फ्यूनरल करने से पहले, जिन्दा रखने के लिए दो लगाऐ तो प्राणी के प्राण बचने की सॅभावना रहती है। आज आम जन में जीवन दान के प्रति समझ ओर जागरूकता लाने की महती महनत की जरूरत है,इसका हम हर तरफ प्रचार प्रसार करें। जन जागरूकता के कार्यक्रम करें। इसके लिए सामाजिक सॅगठन, समाज सेवी सॅसथाऐ, एन जी ओ, आदि भी जन जागरूकता लाने में महत्वपूर्ण भुमिका दे सकते।है।
इसमें मानसिक ओर बौद्धिक सोच विचार में बदलाव लाने तथा वैज्ञानिक सोच के साथ इंसान को समझ रखने की जरूरत है।
भारतीय अंगदान दिवस गुरूवार को प्रदेश में बहुआयामी शुरूआत करने की पहल शुरूआत हो चुकी है। अंगदान जीवनदान, महाअभियान, के तहत 17 अगस्त तक इस अभियान में हर तरफ अंगदान का महत्व, ओर जीवन बचाओ की समझ का प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
मदन सालवी ओजस्वी
जिलाध्यक्ष
भारतीय दलित साहित्य अकादमी
चितोडगढ राजस्थान
4-8-2023