सारे जहां में  सम्मान  दिलाती हे हिन्दी------ओजस्वी।  

सूर  कबीरा, मीरा, रेदास, रसखान। कर  साहित्य सृजन  दी दूनिया  में पहचान।। चितौडगढ  में आज वरिष्ठ साहित्यकार मदन  सालवी ओजस्वी  के सानिध्य  में विश्व हिंदी  दिवस  पर ऐक विचार गोष्ठी  का आयोजन किया गया।

,सारे जहां में  सम्मान  दिलाती हे हिन्दी------ओजस्वी।  
चितौडगढ 10 जनवरी 

सूर  कबीरा, मीरा,
रेदास, रसखान।
कर  साहित्य सृजन 
दी दूनिया  में पहचान।।


चितौडगढ  में आज वरिष्ठ साहित्यकार मदन  सालवी ओजस्वी  के सानिध्य  में विश्व हिंदी  दिवस  पर ऐक विचार गोष्ठी  का आयोजन किया गया।

  ओजस्वी ने इस अवसर पर बताया कि                  देश के अनको  साहित्यकारों ने  हिन्दी  के महत्व  को समझाया, व अनकों कार्यक्रम  आयोजीत  किये। इस अवसर पर भारतीय  बहूजन साहित्य अकादमिक भारत  के सॅरक्षक अध्यक्ष मदन  सालवी  ओजस्वी  ने बताया कि ,मानसिक ओर  बौद्धिक विकास के लिए हिंदी ही  सरल माध्यम है । 

ओजस्वी बताया कि  1975  में  हिन्दी   की विशालता  व्यापकता  पर पहला सेमिनार   नागपुर में आयोजीत  किया गया। इसमें 30 देशों के  122 प्रतिभागियों ने भाग लिया।   उदेश्य  हे हिन्दी  का विश्वभर  में व्यापकता   लाना।

भारत  के वरिष्ठ  साहित्यकार  मदन  सालवी  ओजस्वी  ने इस अवसर पर बताया कि
 हिंदी में गीत, गजल, कहावतें, मुहावरा  भजन ,संगीतों की श्रृखला, सारे जहान में अलग  पहचान रखती है। साहित्य सर्जन की प्रेरणा हिंदी से ही मिलती है।  हिंदी  राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है ।हिंदी  हमारे  रचनात्मक शक्ति का विकास करती है।  हिंदी में  उत्तम नागरिकता छिपी है ।हम सभी मिलकर  हिंदी को व्यापक रूप से व्यवहार में लाऐ।


 हमें गर्व है हमारी मातृभाषा हिंदी पर। हिंदी  से ही  हमारे देश में ऋषि मुनि संतो साहित्यकारों कवियों तथा अनेकों   ने  मानसिक  व बौधिक  विकाश को पाया है।हिंदी हमारे देश की शान है । हमारे अंतरमन के प्राण  है।इसे आज समझने की और  अधिक  जरूरत  हे।


मदन  सालवी ओजस्वी 
सॅरक्षक अध्यक्ष 
भारतीय बहुजन साहित्य अकादमिक भारत 
चितौडगढ राजस्थान 

10-1-2023